लेखनी प्रतियोगिता -17-Feb-2023-भोर की लाली
सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी' मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
कविता
शीर्षक -- 🌹भोर की लाली 🌹
दिनांक -- १७.०२.२०२३
दिन -- शुक्रवार
दैनिक प्रतियोगिता
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अरुणिमा लिए अंशुमाली, आकाश में डाले डेरा,
नवल किरण कर स्पर्श धरा, लाया है नया सवेरा।
कलरव करते खग, विचरण करते उन्मुक्त गगन में,
श़फ़क का आना शाम सबेरे, है योगी वाला फेरा।
मंद-मंद पवन मुस्काए, चहुंओर पयोधर का घेरा,
पारावार है शांत चित्त, माझी करता जल क्रीड़ा।
अरुणिमा को देख चित्त, रक्तिम दाड़िम को तरसे,
आलिंगन करने बाहुपाश में, आतुर है नया सवेरा।
कलियाँ झूमे मदमस्त हो, बहार आई उपवन में,
जब चलती पुरवैया, सिहरन उठती तन बदन में।
प्राकृतिक छटा निराली, देखा जो भोर की लाली,
प्रस्फुटित होकर प्रेमांकुर, छा जाता नील गगन में।
मधुकर देख कलियाँ सकुचाती, ज्यूँ शरमाती दारा,
सुमन हिय के खिल गये, देखकर रंगीन नज़ारा।
काश कोई जीवन में भी, नव प्रभात बन आता,
तिमिर हृदय का दूर कर, जीवन करता उजियारा।
🙏🌷 मधुकर 🌷🙏
(अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
(स्वरचित सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)
Gunjan Kamal
18-Feb-2023 11:13 PM
बहुत खूब
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Abhinav ji
18-Feb-2023 08:44 AM
Very nice 👌
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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
18-Feb-2023 09:34 AM
जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय 🙏🙏
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
18-Feb-2023 06:25 AM
Wahhh बहुत ही मनोहारी शब्द संयोजन
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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
18-Feb-2023 09:34 AM
जी हृदय से आभार आपका आदरणीय 🙏🙏
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